
Share0 Bookmarks 0 Reads1 Likes
चाय का चस्का और तुम एक जैसे हो
जब तक दोनो होंटो से ना लगे
सुबह अधूरी सी लगती है
चाय में घुली चीनी तुम्हारा एहसास है
और चाय पत्ती का क्या कहना
तुम्हारे गुस्से का कड़कपन है
और इलाइची है नखरा तुम्हारा
इसलिए पसंद नहीं मुझे
जब कोई और तुम्हारी बनाई चाय
की तारीफ करता है
दिल मेरा हर घूंट में सौ बार जलता है
जब तक दोनो होंटो से ना लगे
सुबह अधूरी सी लगती है
चाय में घुली चीनी तुम्हारा एहसास है
और चाय पत्ती का क्या कहना
तुम्हारे गुस्से का कड़कपन है
और इलाइची है नखरा तुम्हारा
इसलिए पसंद नहीं मुझे
जब कोई और तुम्हारी बनाई चाय
की तारीफ करता है
दिल मेरा हर घूंट में सौ बार जलता है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments