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हर तरफ जिंदगी बिखरी हुई है
हर पैर से मौत लिपटी हुई है
कहा़ तक खुद को बचा पाओगे
हर सीने में सांसे सिमटी हुई है
यह दौर ही दहशत का है
यहां पानी में भी आग फैली हुई है
मत करो प्यार मोहब्बत की बाते
अब तो नियत भी ज़हरीली हुई है
हर पैर से मौत लिपटी हुई है
कहा़ तक खुद को बचा पाओगे
हर सीने में सांसे सिमटी हुई है
यह दौर ही दहशत का है
यहां पानी में भी आग फैली हुई है
मत करो प्यार मोहब्बत की बाते
अब तो नियत भी ज़हरीली हुई है
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