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बस बहना चाहती हूं
अपनी ही मौज में ,,,,,
आज में फिर से एक
दरिया होना चाहती हूं ,,,,,
ना सफर चाहिए
ना मंजिल चाहिए ,,,,,
दूर किसी जंगल का
कोई रास्ता होना चाहती हूं ,,,,,
कभी तो होगा कि , वो
परिंदा उड़ाया ना जाएगा ,,,
मैं उस परिंदे का ,अब
ठिकाना होना चाहती हूं ,,,,,
अपनी ही मौज में ,,,,,
आज में फिर से एक
दरिया होना चाहती हूं ,,,,,
ना सफर चाहिए
ना मंजिल चाहिए ,,,,,
दूर किसी जंगल का
कोई रास्ता होना चाहती हूं ,,,,,
कभी तो होगा कि , वो
परिंदा उड़ाया ना जाएगा ,,,
मैं उस परिंदे का ,अब
ठिकाना होना चाहती हूं ,,,,,
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