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बैठा हूं सड़क के किनारे पर
जी रहा हूं उम्मीद की राह पर
तार-तार अंबर से जिस्म लिपटा है
सड़क के किनारे पर |२|
भूख–प्यास बुझाता हूं
दो–चार पानी के घुट पीकर
कई बार खुद में ही हंसता–रोता
सड़क के किनारे पर |२|
बनाया है घर और आंगन
इस सड़क के किनारों को
अपनों से बि
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