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माँ की यादें...

Chandrakant KannakeChandrakant Kannake February 22, 2023
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तुझसे मैं दूर जाता हूं तब तेरी यादें भी मेरे साथ चली आती है; हर सुबह तेरी यादें मुझे नींद से जगा कर तेरी यादों के साथ नए दिन की शुरुआत होती हैं।


जब तुम मुझ पर अमर्ष होती हो तो उसी अमर्ष में तुम्हारे प्यार की झलक दिखती हैं; मेरी हर बात को अच्छे से समजती हो मेरी कोई बात नहीं टालती हो।


जब मैं छात्रावास जाने के लिए निकलता था तू कस कर गले लगा कर कहती थी जैसे लगता है की विदाई हो रही है मेरे बेटे की।


तुमने ही तो मुझे अच्छे और बुरे में फर्क करना सिखाया है, जब मेरा स्वास्थ्य ठिक नहीं रहता तब तुने कई रातों को भी दिन बनाया है।


अच्छा और स्वादिष्ट खाना तो कहीं पर भी मिलता है; तेरे हाथों का खाना बहुत याद आता है, लेकिन तेरे खाने का स्वाद कहीं नहीं मिलता है।


जब मुझे नींद नहीं आती तो मेरे बालों को सैलाना तेरी हाथों की कोमलता मुझे याद आती है; हर वक्त में तेरे साथ बिताए पल को याद करता हूं माँ तुझसे में प्यार करता हूं, माँ तुझसे में प्यार करता हूं।

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