Share0 Bookmarks 200000 Reads1 Likes
कभी ग़र याद करो मुझको
तो यूँ करना,
खिड़की से बाहर निकाल देना हाथ और छू लेना बारिश की गिरती बूँदे।
छत की किनारी से लटकाए थे जो मनीप्लांट हमने, उन्हें सहलाना और चूम लेना उंगलियों को अपनी।
कभी ग़र याद करो मुझको
तो यूँ करना,
उबलती हुई चाय को आँच धीमी कर बुझने देना मद्धम-मद्धम और गिरा लेना एक अश्क़ उस याद में जब हमने पहली बार बनाई थी चाय स
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments