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बादलों में सेहमे हुए मेरे सारे सपने
ना जाने कबसे चुप रहे
खुद अपना रास्ता दूंथे
ना जाने कबसे भटके रहे
दिल में जो हजारो सवाल भरने लगे
एक बारिश से सारे उल्जे हुए ख्याल
आज जाके सुलझ ने लगे


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