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जल बिन भूमि बन जाएगी राख,
बिन जल वृक्ष बन जाएंगे काठ।
बिन जल सब सूना होगा,
नीलांबर भी ये सूना होगा।
रहेगा ना जीव कोई, ना रहेगा कुछ भी नम,
रहेगा ना कोई संघर्ष यहां ना कोई विश्राम।
कल कल करती रहेंगी ध्वनि शेष, संजो नीर बूंद का,
ऐ मानव जोड़ कर, कर रक्षण इस नीर का।
- चहेता
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