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गर रहे जाॅं ज़िंदगानी और भी है
तेरे ख़िदमत में कहानी और भी है
ऐ ज़माने,ख़ुश है मुझ को मार कर तू
बाद मेरे खूॅं रवानी और भी है
दामने-दिल छोड़ दे ये जुस्तजू तू
दिल में कुछ राज़-ए-निहानी और भी है
देख लो दौरे-ख़िज़ाँ में गुल खिला है
पल फ़ज़ा का आसमानी और भी है
किस लिए है ये तकल्लुफ़, ये तवज्जह
खोज तेरे दिल में ज़ानी और भी है
~ सुकेशिनी बुढावने
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