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बहुत ही रो लिए चुप-चाप हो जाना

SukeshiniPoetrySukeshiniPoetry April 18, 2022
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बहुत ही रो लिए चुप-चाप हो जाना
मधुर सपनों में खोकर अब तो सो जाना

अगर डर लगता सन्नाटों से तो फिर तुम
किसी के यादों के मेले में खो जाना 

अगर मौसम न आया लौट कर तो फिर 
बरस के तुम पिया, बादल सा हो जाना

तेरे दामन पे ये जो दाग़ है गहरा

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