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नफ़रत के बाज़ार सजे हैं प्रेम डगर पर पहरा है
दिल का दर्द जुबां से होकर आँखों में आ ठहरा है
उसका आना स्वर्ग सरीका उसका जाना लुट जाना
उसकी ख़ामोशी है क़ातिल सन्नाटा भी गहरा है
मेरी आँखों में आ बैठा उसकी आँखों का पानी
दिल का दर्द जुबां से होकर आँखों में आ ठहरा है
उसका आना स्वर्ग सरीका उसका जाना लुट जाना
उसकी ख़ामोशी है क़ातिल सन्नाटा भी गहरा है
मेरी आँखों में आ बैठा उसकी आँखों का पानी
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