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चंद साँसें गर्म सी, कुछ नमकीन से पल
चंद आहें सर्द सी, कई तकरारें चटपटी-चंचल
चंद यादें भींगी-भागी, कुछ मीठे-खट्टे एहसास
और जीवन से भी लंबे कुछ लम्हे, सूखे-टूटते-सिसकते अविरल
स्याह सी तनहाईयाँ, सिमटे हुए पल,
और पन्नों में दबे कुछ बसंती फूल
सुर्खियाँ आँखों में, ठहरी हुई,
चंद आहें सर्द सी, कई तकरारें चटपटी-चंचल
चंद यादें भींगी-भागी, कुछ मीठे-खट्टे एहसास
और जीवन से भी लंबे कुछ लम्हे, सूखे-टूटते-सिसकते अविरल
स्याह सी तनहाईयाँ, सिमटे हुए पल,
और पन्नों में दबे कुछ बसंती फूल
सुर्खियाँ आँखों में, ठहरी हुई,
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