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आज तुम्हारे संग गुजारे मेरे वो चंद लम्हे
अनचाही सी मुझे चंद खुशियाँ दे गये।
बस तुम्हारे हाथ अपने हाथों में ना रख सका
ये सारे गम मुझे अनसुनी सजा दे गए।
सच कहूँ तो हर वक़्त मैं तुम्हे ही सोचता हुँ
ऐसा लगता है तुम मुझे अपने अश्क भी दे गए।
तुम्हारी चाहत मे मैं इतना मशगूल हो गया
कि मैं खुद को तराशना ही भूल गया था।
आज तुम्हारे संग गुजारे मेरे वो चंद लम्हे
अनचाही सी मुझे चंद खुशियाँ दे गए।
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