
Share0 Bookmarks 632 Reads2 Likes
नित (रोज) सवेरे उठकर मैं,
चौखट पे खड़ा देखता हुं,
गुंजन करते पक्षी को मैं,
ध्यान लगा के सुनता हुं।
हर रोज मैं तेरी यादों को,
दिल में संजोकर रखता हुं,
सुध करके तेरी बातों को,
चेहरा छुपाकर रोता हुं।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments