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आज कल गुमसुम सा रहता हूं
गुमसुम रहना कोई गुनाह तो नही है
आज कल खुदको कोसता रहता हु
खुदको कोस ना कोई गुनाह तो नही है
आज कल यु ही बे मतलब मुस्कुरा रहता हूं
बे मतलब मुस्कुराना कोई गुनाह तो नही है
आज कल गम को छुपाये रहता हूं
गम छुपाना कोई गुनाह तो नही है
आज कल उजालो में अंधेरा ढूंढता रहता हूं
अंधेरा ढूंढ ना कोई गुनाह तो नही है
आज कल अपने आँसूओ को दबाये रहता हूं
आँसुओ को दबाना कोई गुनाह तो नही है
आज कल अपनी भावनाओ को छुपाये रहता हूं
भावनाए छुपाना कोई गुनाह तो नही है
आज कल बस यूं ही खुदको लिखते रहता हूं
खुदको लिखना कोई गुनाह तो नही
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