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गुम मै अपनी सोच की गहराइयों में
कि क्या ऐसी भी वो ख्वाहिश थी मेरी
कुछ पाया तो नहीं आज तक
और खोता ही खोता चला जा रहा हूँ।
कहाँ मैं भी नाम बनाने निकला था
और अपनी
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गुम मै अपनी सोच की गहराइयों में
कि क्या ऐसी भी वो ख्वाहिश थी मेरी
कुछ पाया तो नहीं आज तक
और खोता ही खोता चला जा रहा हूँ।
कहाँ मैं भी नाम बनाने निकला था
और अपनी
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