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मैं सोचता हूँ,
यह राजनीती क्या बला है?
जो वो करे तो गलत वही चीज़,
मैं करून तो देश का भला है?
सिद्धांत के नाम दो पार्टियां वोट लेती हैं,
एक सरकार में और एक विपक्ष में,
बैठके सरकार को गालियां देती है,
एक दिन सरकार दो गुटों में बट जाती है,
दोनो खेमों में राष्ट्रहित की गाथा सुनाई जाती है,
दूसरा पहले को और पहला विपक्ष को गरियाता है,
दूसरा विपक्ष की सहायता से सरकार बनाता है,
पहला विपक्ष को तोड़ कर सरकार बचाता है,
चौथा पांचवा किस के साथ, किसके खिलाफ हैं
यह दृश्य हर सत्र में बदल जाता है,
आखिर यह वोट किसने किसके खिलाफ लिया था?
और हमने किसे क्या सोच के वोट दिया था?
मैं सोचता हूँ, कौन सही कौन गलत है,
यह समझ मुझे क्यों नही अब तलक है?
...बिमल...
..
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