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ए जिन्दगी तुम कैसी प्यास हो। जो मिटती ही नहीँ। हर कोई तुमसे ही मिलना चाहता, न जाने तुम कैसी आस हो? मौत ही तो महबूबा है, जो साथ लेकर जाएगी ही एक दिन। जिन्दगी को फिर कोई बेवशी से क्योँ काट रहा रोज गिन गिन। ए जिन्दगी तुम कैसी प्यास हो..... जो मिटती ही नहीं, &nbs
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