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चांद देखे फलक पर कई सितारे देखे
कश्तियाँ देखीं और कूल किनारे देखे
ऊब कर बैठ गया मन जब नज़ारों से
नींद से जागा फिर ख्वाब तुम्हारे देखे
भूल बैठे झील, कमल, ज़ाम को वो
भूलकर भी जो कोई नैन तुम्हारे देखे
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