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अज़ीज़, मित्र, दोस्त, यार कुछ भी नहीं
मेरी मानो तो ये प्यार व्यार कुछ भी नहीं
गर मार दो अल्फ़ाज़ से तो मर जाऊं मैं
ये बंदूक और तलवार यार कुछ भी नहीं
तुम्हारी खातिर तो मैं उम्र काट
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