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धरा विराजे व्याकुल मन ,
वर्ण दिए बिखराये ,,
खड़िया थामे हाथों में,
चुन चुन रचता जाये ,,
ललाट के पटल पे,
शब्दों को गढ़ता जाये ,,
शब्द जुड़े जुड़ वाक्य बने,
मन सोचे मुस्काये ,,
जीवन की आपाधापी में ,
वाक्य पुष्प खिल जाये ,,
ओंठों से लग बन वाक्य स्वर ,
कानों में रस घुल जाये ,,
मनस्तोष दिल पारण ,
मौन रूह सुन पाये ,,
धरा विराजे व्याकुल मन ,
वर्ण दिए बिखराये ,,
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