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तू हीर है तो मैं रांझा हूँ ,तू पतंग यदि तो मैं मांझा हूँ!

Bheem RaoBheem Rao February 7, 2023
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कुछ ऐसे तेरे- मेरे, मैं सपने देखता हूँ, 

बहुत देर बैठे- बैठे, मैं ये सोचता हूँ, 

खुदको मैं रांझा, तुझको हीर सोचता हूँ, 


तू हीर है तो मैं रांझा हूँ

तू पतंग यदि तो मैं मांझा हूँ!(१) 


जीवन की थामें जैसे कोई डोर है, 

कोई और नहीं वो तू हीर है, 

बंधन ऐसा जुड़ जायेगा, 

मैनें न कभी ये सोचा था, 

साथी ऐसा मिल जायेगा, 

जो कदम से कदम मिलायेगा, 

जीवन को सरल बनायेगा, 

अब तेरे बिना मैं आधा हूँ, 


तू हीर है तो मैं रांझा हूँ

तू पतंग यदि तो मैं मांझा हूँ!(२) 


इश्क़- विश्क ये क्या होता है, 

न समझी थी, न जानी थी मैं, 

इन राहों से अनजानी थी मैं, 

तू मिल गया है जबसे, 

समझने लगी हूँ सबकुछ, 

मैं रानी हूँ, तो तू राजा है

मेरे सपनों का शहजादा है, 


तू हीर है तो मैं रांझा हूँ

तू पतंग यदि तो मैं मांझा हूँ!(३) 


ये पतंग कभी कट न पाये, 

मेरी नजर कभी हट न पाये, 

तेरे इस मुखड़े को देखूँ, 

तुझमें ही चाॅंद- सितारे हैं, 

तुझको ही अपना सब मानूं

तेरा- मेरा ये कुछ भी नहीं, 

इश्क में सब कुछ साझा है, 


तू हीर है तो मैं रांझा हूँ

तू पतंग यदि तो मैं मांझा हूँ!! 


Written by-

Bheem Rao Ambedakar

Jhansi (U.P) 







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