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कैसी हया , कैसी शरम,
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
जीने न दे इनकी जबां,
सब पर ही थोपें ये अपनी पसंद,
देते हैं ताने ये आये दिन ,
कैसी हया , कैसी शरम,
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
हर जगह ये बैठे हैं,
काटने हमारी पतंग,
हो मन में उमंग,
तो लड़ लेंगे हम इनसे भी
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
जीने न दे इनकी जबां,
सब पर ही थोपें ये अपनी पसंद,
देते हैं ताने ये आये दिन ,
कैसी हया , कैसी शरम,
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
हर जगह ये बैठे हैं,
काटने हमारी पतंग,
हो मन में उमंग,
तो लड़ लेंगे हम इनसे भी
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