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कैसी हया , कैसी शरम,
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
जीने न दे इनकी जबां,
सब पर ही थोपें ये अपनी पसंद,
देते हैं ताने ये आये दिन ,
कैसी हया , कैसी शरम,
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
हर जगह ये बैठे हैं,
काटने हमारी पतंग,
हो मन में उमंग,
तो लड़ लेंगे हम इनसे भी जंग,
हम काम ऐसा करेंगे अतरंग,
कि उड़ जायेंगे उनके चेहरों के रंग,
कल यही लोग करेंगे सलाम,
हर जुबां पर होगा हमारा नाम,
कर देंगे हम इनकी नफरत को भंग,
मिल कर रहेंगे फिर हम सबके संग,
कैसी हया , कैसी शरम,
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
Written by-
भीम राव अम्बेडकर
झाॅंसी (उ.प्र)
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
जीने न दे इनकी जबां,
सब पर ही थोपें ये अपनी पसंद,
देते हैं ताने ये आये दिन ,
कैसी हया , कैसी शरम,
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
हर जगह ये बैठे हैं,
काटने हमारी पतंग,
हो मन में उमंग,
तो लड़ लेंगे हम इनसे भी जंग,
हम काम ऐसा करेंगे अतरंग,
कि उड़ जायेंगे उनके चेहरों के रंग,
कल यही लोग करेंगे सलाम,
हर जुबां पर होगा हमारा नाम,
कर देंगे हम इनकी नफरत को भंग,
मिल कर रहेंगे फिर हम सबके संग,
कैसी हया , कैसी शरम,
कैसा है रंग, कैसा है ढंग,
ये दुनिया तो बस करती है तंग
Written by-
भीम राव अम्बेडकर
झाॅंसी (उ.प्र)
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