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ओ स्त्री कौन है तू, क्या है तू,
तू तो एक दयानी है।
हाँ सीता सी पवित्र है तू,
सीता सी स्वाभिमानी है।
आत्मसम्मान की रक्षा की जो
द्रौपदी सी ठानी है।
है जोगनी मीरा सी तू,
प्रेम की तू दीवानी है।।
यम से अपना पति ले आई,
सावित्री सी सायानी है।
है ममता का स्वरुप तू,
देवकी, यशोदा सी सबने जानी
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