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हमने यही पढ़ा ..... किताबों में ,
यही सुना......कहानी कहावतों में ,
है नारी -अबला- सुकोमल - कोमलांगी,
है आंचल में दूध और आंख में पानी |
पर क्यों भूलाया … तुमने इतिहास ,
करते देवगन भी …मेरा गुणगान ,
मैं ही भोग्या…..मैं ही भवानी,
बिन मेरे जग की… .. अधूरी कहानी |
नहीं बुद्धिबल में….कमतर तुमसे ,
है तुम सम ज्ञान….प्रकाश पुंज मुझमें ,
क्या भुल गये विदुषी भारती का ज्ञान,
जिसने शास्त्रार्थ में….. शंकराचार्य को किया परास्त |
नहीं हठ में ....मेरी कोई सानी ,
होनी को ......अनहोनी कर मानी ,
मैं ही हूं… वो हठधर्मी सावित्री ,
जिससे यम ने भी आखिर … हार मानी |
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