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नदी के दो किनारों सा ,
उसका - मेरा साथ ,
अलग मगर पर…चलते साथ ,
लिए मिलन की .. झूठी आस |
आलिंगन को… दिखते मोहताज ,
बखूबी दिल को है…. ये एहसास ,
मुमकिन नहीं … होना मकबूल ,
दिल की ये … झीनी सी मुराद |
बांधकर नदी को…. अपनी सीमाओं में ,
करते महसूस एक दूसरे को…आगोश में ,
अपनी संवेदनाओं को… कर दरकिनार&n
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