दो किनारे..... 's image
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नदी के दो किनारों सा , 
उसका - मेरा साथ , 
अलग मगर पर…चलते साथ  , 
लिए मिलन की ..  झूठी आस  |


आलिंगन को… दिखते मोहताज  , 
बखूबी दिल को है…. ये एहसास  , 
मुमकिन नहीं … होना मकबूल , 
दिल की ये … झीनी सी मुराद |


बांधकर नदी को…. अपनी सीमाओं में  , 
करते महसूस एक दूसरे को…आगोश में  , 
अपनी संवेदनाओं को… कर दरकिनार  , 
नदी के अस्तित्व को… देते आकार  |


करते निर्वाह…अपना दायित्व  , 
देकर सरि को…. उसका अस्तित्व  , 
दिखाते प्रेम की… अद्भुत तस्वीर  , 
है संभव कुर्बत में … प्रेम की तासीर  |


भान है उन्हे… उनका मिलन  , 
कर देगा तबाह… सरि का स्पंदन  , 
शायद… इसलिए रहते तटस्थ  , 
खामोश - निर्बाध … बस चलते संग  |

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