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मां का वात्सल्य

bhavnakumarivyasbhavnakumarivyas May 15, 2023
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अनुगृहीत हुँ माँ के वात्सल्य की ,
जिसका न आदी है न अंत
 
अनुगृहीत हुँ , 
माँ अस्तित्व की ,
जिसने अस्तित्व की सम्भावना को ,
जन्म देने के लिए धारण किया
 
एक ऐसी भूमि मे पल रही जहाँ
माँ के मिटते ही अस्तित्व का नवपल्लव 

माँ का वात्सल्य कितना अदभुत है ,
जहा एक भ्रूण , 
माँ को चीर कर , 
बाहर आता ,
 जिसका पता माँ को भी नही

सर्मपण है माँ , 
कृतज्ञता से ,
 अस्तित्व के बीजो को धारण
कर 
प्रगाढ़ बोध को जन्म देने

अनुगृहीत हुँ जन्मदात्री के वात्सल्य की ,
जिस वात्सल्य का न आदी है न अंत
  भावना कुमारी व्यास
  10/3/2023

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