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लदी हुई तुम आभूषण से
हे नारी!
सौंदर्य की पराकाष्ठा
बन जाती होगी निश्चित ही।
ललाट पर ये लाली
तेज प्रदान करती होगी
मुख की आभा
सम्पूर्णता की अनुभूति
कराती होगी निश्चित ही।
पर क्या ये हैं तुम्हारे
वास्तविक आभूषण?
न धारण करो तो मिट जाएगी
वो आभा वो सौंदर्य
या सम्पूर्णता?
नहीं! वास्तविक नहीं!
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