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नंबर है, कॉल नहीं कर सकते
इच्छा है बात नहीं कर सकते
प्यार है इजहार नहीं कर सकते
बंदीसे ऐसी
जिन्हें पार नहीं कर सकते
सारा दिन मैं तुम्हें याद करता हूं
सभी से मैं तुम्हारी बातें करता हूं
हर घड़ी तुम्हें अपने एहसासों में
कैद रखता हूं
ये हसीन आरोप मुझ पर साबित हुए हैं
अब तो तुम्हारा अक्स भी
मुझमें दिखने लगा है
प्यार अपना अब जगजाहिर है
उभर आई हो तुम मुझमें
दिखने लगा हूं मैं अर्धनारीश्वर की तरह
~ भरत सिंह
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