Share0 Bookmarks 48818 Reads2 Likes
कविता की अनुपस्थिति में
कलम से यारी हो गई
कलम से हाथ मिलते ही
कल्पनाएं जागृत हो गई
कविता फिर
दूर होकर भी पास हो गई
शुक्र है ईश्वर का
मैंने कविता से
बेवफाई तो नहीं की
पास थी तो प्रेम किया
दूर है तो प्रेम पत्र लिखते रहे
बस डूबा रहा मैं कविता में
मिलोगे जब कविता
सुनना दिल से दिल की
मेरी कविता<
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments