
प्रेमिका के लिए
मेरी तलाश पूरी हुई
सामने आकर जब वो
बिजली सी खड़ी हुई
मेरे सपनों में आने वाली
मेरे सामने थी खड़ी हुई
मैं तो देखता रह गया
झील सी आंखों वाली
मुझको वह ढूंढ रही थी
चेहरा उसका चांद सा
चमक रहा था
सर पर उसके
कोहिनूर का ताज था
बाल उसके लंबे काले
बादलों के जैसी घुमड़ के
चांद से चेहरे को
बार बार घुंघट कर रहे थे
मुंह दिखाई जैसी वो
मेरे से मांग रहे थे
लंबा सुन्दर
नाक उसका
आर्यावर्त की वो
राजकुमारी लग रही थी
होठ उसके गुलाबी
रस टपका रहे थे
प्यास बुझाने मेरी
मुझको तलाश रहे थे
प्रेमिका के लिए
मेरी तलाश पूरी हुई
सामने आकर जब वो
बिजली सी खड़ी हुई
नागिन के जैसी
बलखा के
धीरे-धीरे
मेरी तरफ वह बढ रही थी
पक्षी भी
उसके स्वागत के लिए
चह चाह रहे थे
पेड़ पौधे भी
उसके लिए
मध्यम मध्यम
हवा चला रहे थे
रातरानी के फूलों ने
पूरे समा को
सुगंधित बना दिया
कोयल की सी
मधुर आवाज में
जब वो बोली पिया जी
प्रेमिका के लिए
मेरी तलाश पूरी हुई
सामने आकर जब वो
बिजली सी खड़ी हुई
देखा जब मैंने उसको
जी भर के
वह तो मेरी कविता थी
उसी को मैं जी रहा था
उसी को मैं लिख रहा था
वही तो मेरे सपनों
की राजकुमारी थी
मैं तो उसका कवि था
वो ही मेरी कविता थी
प्रेमिका के लिए
मेरी तलाश पूरी हुई
मेरी कविता जब मेरे
सामने आकर खड़ी हुई
~भरत सिंह
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