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मुझे भाता साथ तुम्हारा
लोट के आजा अपने देश
लगन मेरी तुमसे लगी
पहुंचती होंगी तुम तक
आहें मेरी..
कर रहा हूं कलमबद्ध
अपने एहसास ..
लिख रहा हूं तुम्हें कविताओं में
सिहर जाती होगी तुम
महसूस करके बेकरारी मेरी
ना कोई बात ना कोई चीत
क्यों मेरी जान निकाल ले गई तुम
देख जीना भूल गया मैं तुम बिन
अब के सावन तो आ ही जाना
और नहीं तुम मुझको तड़पाना
भाता होगा तुमको प्रदेश
मुझे भाता साथ तुम्हारा
लोट के आजा अपने देश
संस्कृति हमारी सशक्त है
शाश्वत है
जीना सीख प्रकृति के साथ
कितना प्यारा देश हमारा
मुझे भाता साथ तुम्हारा
लोट के आजा अपने देश
~भरत सिंह
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