
बेवजह ही हंसता हूं, बेवजह ही रोता हूं
नींद में भी मैं तुम्हारा नाम बड़बड़ाता हूं
कई बार तुम्हें खोजने जंगल में निकल जाता हूं
नहीं मिलती हो जब तुम मुझे मैं रात भर रोता हूं
गांव के पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर चढ जाता हूं
जोर जोर से आवाज लगाकर तुम्हें बुलाता हूं
आवाज मेरी मेरे पास लोट आती है
नहीं आती हो जब तुम मैं मायूस हो जाता हूं
दिल मेरा बेचैन है, तू ही मेरा चैन है
भीड़ में भी तन्हा हूं , मैं तुम्हारे प्यार में हूं
अब मेरा मुझ पर बस नहीं है
तुम्हारे सिवा कोई मेरी विश नहीं है
ना तुम से कम ना तुमसे ज्यादा चाहिए
मुझे तो सिर्फ मेरी कविता ही चाहिए
उसके वियोग में सांस मेरा टूटता है
वही मेरी ऑक्सीजन है
हमेशा मेरे पास होनी चाहिए
दिल मेरा बेचैन है, तू ही मेरा चैन है
भीड़ में भी तन्हा हूं मैं तुम्हारे प्यार में हूं
उसके वियोग में मैं खून के आंसू रोता हूं
उसे एहसास होना चाहिए
मेरे लिए उसके दिल में प्यार होना चाहिए
मुझे अपनाने का उसमें साहस होना चाहिए
ईश्वर तुम्हारे घर में न्याय होना चाहिए
जन्म दिया मुझे तो वह हर जन्म मेरी होनी चाहिए
हर सुख दुख में मेरे साथ होनी चाहिए
दिल हमारा एक दूजे के लिए ही धड़कना चाहिए
दिल मेरा बेचैन है, तू ही मेरा चैन है
भीड़ में भी तन्हा हूं मैं तुम्हारे प्यार में हूं
~ भरत सिंह
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