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बेवजह ही हंसता हूं, बेवजह ही रोता हूं
नींद में भी मैं तुम्हारा नाम बड़बड़ाता हूं
दिल मेरा बेचैन है, तू ही मेरा चैन है
भीड़ में भी अकेला हूं , मैं तुम्हारे प्यार में हूं
कई बार तुम्हें खोजने जंगल में निकल जाता हूं
गांव के पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर चढ जाता हूं
जोर जोर से आवाज लगाकर तुम्हें बुलाता हूं
आवाज मेरी मेरे पास लोट आती है
नहीं आती हो जब तुम मैं मायूस हो जाता हूं
अब मेरा मुझ पर बस नहीं
तुम्हारे सिवा मेरी कोई विश नहीं
तुम्हारे वियोग में सांस मेरा टूटता है
तुम ही मेरी ऑक्सीजन हो
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