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मेरे दिल में आए जो लिखता हूं
दिमाग की मैं कहां सुनता हूं
मेरे दिल में तुम ही हो तो क्या करूं
यों मानों अब तुम्हें ही लिखता हूं
मेरी सारी कविताएं
मेरी सारी शायरी
तुम्हारे लिए समर्पित है
यह मेरे हस्ताक्षर है
मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं
यह मेरे प्यार करने का तरीका है
मैं तुमसे प्यार करता हूं
टूटा फूटा लिखता हूं
अधपका लिखता हूं
तुम्हारे चेहरे पर आए हंसी
इसलिए लिखाता हूं
यह मेरे प्यार करने का तरीका है
मैं तुमसे प्यार करता हूं
कविता प्यार का पवित्र रूप
इसलिए कविता मुझको प्यारी
मेरे प्यार में समुद्र सी गहराई
कविता ही उसको छू पाई
तुम मेरी कविता हो
तुम मेरी कहानी हो
मैं पढूंगा तुम्हें
मैं लिखूंगा तुम्हें
ऐसे रोज तुम्हें अपना बनाउंगा
मैं लिखकर तुमसे वादा करता हूं
मैं लिखकर तुम्हें अपना बनाऊंगा
जन्मो जन्म तुम्हें अपना बनाऊंगा
~ भरत सिंह
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