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ठन गई मेरी करवा चौथ के चांद से

Bharat SinghBharat Singh December 29, 2022
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कविता है मेरा प्यार , कविता है मेरी प्रियसी

मैं हूं कविता का चांद , कविता है मेरी चांदनी

नजर लगा रहा था चांद उसको

घूर रहा था एकटक करवा चौथ की रात में

ठन गई मेरी करवा चौथ के चांद से

तुम डरना मत प्रियसी..

लड़ जाऊंगा मैं इस बेहया चांद से


निगाह गड़ाकर चांद की ओर 

दौड़ पड़ा मैं चांद के पीछे 

मैं जो आगे बढ़ता गया

चांद पीछे हटता गया 

डर गया चांद मेरी दीवानगी से  

छिप जाता था बादलों की ओट में

चांद आगे-आगे मैं पीछे-पीछे

दौड़ता रहा 

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