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सपने दिखाती हो सामने जब आती हो
दिल में दबी वो चिंगारी भड़क जाती है
अरमानों का परमाणु विस्फोट कर जाती हो
हसीन खयालो का हिमालय खड़ा हो जाता है
तुम्हारे साथ यह दुनिया रंगीन नजर आती है
जीवन हमें अनमोल सा लगता है
नजरों से तुम जब दूर जाती हो..
खयालों का धरोंदा बिखर जाता है
जीवन सारा बेमोल हो जाता है
तुम्हारे बिना दुनिया बेरंग नजर आती है
तुम क्या जानो बेवफाई का दंश
देखते हैं तुम्हें जब किसी और के साथ
ना चाहते हुए भी तुम बेवफाई कर जाती हो
आंखें हमारी अंगारा हो जाती हैं
जलकर हम भस्म हो जाते हैं
कैसे मेरे प्यार का कर्ज चुकाओगी
या फिर अगले जन्म का तुम सपना दिखाओगे
कैसे करोगी न्याय तुम?
कब तुम अपना फर्ज निभाओगे
प्यार के बदले प्यार लौटाओगे
ईश्वर तुम्हें ताकत दे..
प्यार को मेरे बरकत दे
~ भरत सिंह
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