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जीने का बहाना मिल गया

Bharat SinghBharat Singh May 9, 2023
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जीने का बहाना मिल गया 

कविता में छुपा था खजाना 

मुझे वो खजाना मिल गया 

कविता लिखूंगा मैं

कविता पडूंगा मैं

कविता को पाऊंगा मैं

कविता को जिऊंगा मैं

कविता का मुझे सहारा मिल गया

जीने का बहाना मिल गया 

कविता में छुपा था प्यार

मुझे वह प्यार मिल गया

कविता को समझने के लिए 

कविता को पढ़ने के लिए 

बच्चों सा दिल चाहिए

मुझे वह दिल मिल गया

कविता से मेरा दिल मिल गया

जीने का बहाना मिल गया


कविता में छुपी थी करुणा

मानवता के लिए 

मुझ में करुणा आ गई

कविता में छुपी थी ममता

मां जैसी 

मुझमें ममता आ गई

कविता में छुपी थी दया

जीव जंतुओं के लिए भी 

मुझ में दया आ गई

आदमी से अब मैं इंसान बन गया 

कविता ने मुझे पूरा कर दिया

कविता में छुपी थी सुंदरता

कविता मुझ पर नशा छा गया

मां सरस्वती की कृपा हो गई

कविता मेरे घर आ गई

घर में हमारे समृद्धि आ गई

कविता में छुपा था खजाना 

मुझे वो खजाना मिल गया 

जीने का बहाना मिल गया 

   - भरत सिंह

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