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भाग जाऊंगा जंगल में
अपनी कविता के साथ
शहर मुझे भाता नहीं
साथ तुम्हारा भाता है
कविता तुम पढ़ना मुझे
मैं लिखूंगा तुम्हें
दम घुटता है शहरों में
हम प्यार करेंगे जंगल में
हम खुश रहेंगे जंगल में
हम वेद पड़ेंगे जंगल में
हम संस्कृत और संस्कृति
जिंदा करेंगे जंगल में
बलात्कार करते
प्रकृति का शहरों में
शोषण होता
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