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कविता की एक मुस्कान से
आंगन में खुशबू फैल जाती है
गुलाब है मेरी कविता
मैं उसे प्यार से सीचूंगा
ताकि वह आजीवन
खिलखिलाती रहे
मेरे घर की वह लक्ष्मी है
होली का वह गुलाल है
हर रोज खिलता वह
गुलाब है मेरी कविता
~ भरत सिंह
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