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प्रियसी
होली आई है
बसंत भी साथ लाई है
पेड़ पौधों पर कोंपल फूट आई हैं
गालों पर तुम्हारे
यौवन की लालिमा छाई है
प्रियसी
होली आई है
रंग बिरंगे फूल खिलेंगे
मोर भी अब नाच उठेंगे
नए जीवन का सृजन होगा
खुशियों के गुलाल उड़ेंगे
प्रियसी
होली आई है
प्यार की बेला साथ आई है
भ्रम के अब गुब्बारे फूटेंगे
प्यार का गुलाल उड़ेगा
गिले-शिकवे सब दूर होंगे
नफरत का दहन होगा
प्यार की कोंपल फूटेंगी
प्रियसी
होली आई है
मिलन की घड़ी अपनी साथ लाई है
~भरत सिंह
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