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निकल पड़ा हूं
तुम्हें पाने के लिए
चल रहा हूं
जैसे सदियों से..
थक गया हूं
हारा नहीं हूं
आ जाओ तुम पास में
चूम लो माथा मेरा
लगा लो सीने से मुझे
चौराहे पर खड़ा हूं
किस दिशा में तुम छुपी हो
मेरी दिशा मुझे दिशा दिखा दो
रुकूंगा नहीं
मैं आगे बढूंगा
तुम्हारी सांवली सूरत
मेरी आंखों में बसी है
तुम ही मेरी मंजिल हो
भेष बदलकर तुम आ जाओ
अपने पथिक को पानी पिला दो
पसीना पूछ कर
अपने पल्
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