
अब मन मेरा भटकता नहीं
जब से तुमसे प्यार हुआ है
मुझे इंतजार करना आ गया
जब से तुमसे प्यार हुआ है मुझे जीना आ गया
तुम मेरी लव भी हो लव गुरु भी हो
जब से तुमसे प्यार हुआ है, मुझे लिखना आ गया
तुमसे प्यार करके ही मैं ईश्वर को पा जाऊंगा
अब मन मेरा भटकता नहीं
तुम्हारे सिवा किसी को चाहता नहीं
तुम्हारे अलावा मेरी आंखें किसी को देखती नहीं
तुम्हारे मिलते ही जैसे सदियों की मेरी तलाश पूरी हो गई
अब मैं तुम्हें प्यार भी करूंगा तो ईश्वर भक्ति भी करूंगा
तुमसे प्यार करके ही मैं ईश्वर को पा जाऊंगा
जब से मैंने तुम्हें देखा है मैं झूम रहा हूं , मैं गा रहा हूं
तुम मेरी कविता हो , तुम ही मेरी कहानी हो
तुम ही वह लड़की हो जिसके साथ मैं भाग जाना चाहता हूं
हिमालय के पहाड़ों में ,जहां सिर्फ तुम हो और मैं
मैं जीना चाहता हूं , मैं तुम्हारे साथ जीना चाहता हूं
अब मन मेरा भटकता नहीं
तुमसे प्यार करके ही मैं ईश्वर को पा जाऊंगा
~ भरत सिंह
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