आ एक दिन समेट के मर जाते हैं,
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Nepali PoetryArticle1 min read

आ एक दिन समेट के मर जाते हैं, कौन करें देखभाल रोज़ इन तन्हाई कि..

Bhadresh DesaiBhadresh Desai November 30, 2021
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आ एक दिन समेट के मर जाते हैं,

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