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हताशा है, निराशा है, नाकामी है, उदासी है,
है अकेलापन, है धोके, है खोना, नाराजगी है,
टूटे दिल, रिश्ते झूठे, नाकमियाबी और चकनाचूर होंसलो से,
मेयार-ए-ज़िन्दगी भरी पड़ी है ना जाने कितने मसलों से|
हैं आंख बंद तो अँधेरे की जगह परशानिया दिखती है,
बाजार में लोग कई है, पर चेहरों पर तन्हाईयाँ दिखती है,
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