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मेरे देश में एक रोष है,
हर बात में आक्रोश है,
है क्रोध बोहोत भरा पडा,
ये जातियों में फिर अड़ा।
यहाँ रंगो का चुनाव है,
भगवे-हरे में तनाव है,
जो बोल दे गलत को गलत,
उसपे देशद्रोह का घाव है।
मंदिरों की भरमार है,
फिर भी एक और की पुकार है,
पंडित-योगी सब भोग रहे,
युवा यहाँ बेरोज़ग
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