आक्रोश's image
Share0 Bookmarks 67 Reads0 Likes

मेरे देश में एक रोष है,

हर बात में आक्रोश है,

है क्रोध बोहोत भरा पडा,

ये जातियों में फिर अड़ा।


यहाँ रंगो का चुनाव है,

भगवे-हरे में तनाव है,

जो बोल दे गलत को गलत,

उसपे देशद्रोह का घाव है।


मंदिरों की भरमार है,

फिर भी एक और की पुकार है,

पंडित-योगी सब भोग रहे,

युवा यहाँ बेरोज़गार है।


किसानों के खेत कब्रिस्तानी हो गए,

मस्जिद में झुकने वाले सिर पाकिस्तानी हो गए,

देश के लिए प्रेम अब खड़े होकर जताना पड़ता है,

संविधान के दिए अधिकार सब बेमानी हो गए।


गली गली में जिसका डंका है,

वो नेता नहीं अच्छे ढंग का है,

पर दान मत का अगर न किया उसे,

तो तेरे भारतीय होने पे सबको शंका है।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts