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सुकून की रोटियाँ न मिलीं इस जमाने में,
सारी उम्र बीत गयी बस कमाने में,
घर छोड़ दिया था जिसके लिए,
वही लगा है हमें आजमाने में,
भटकते रहे ता उम्र जिनकी खुशियों के लिए,
मजा आता है अब उन्हें मुझे भटकाने में,
सुकून की रोटियाँ न मिलीं इस जमाने में,
सारी उम्र बीत गयी बस कमाने में,
ऊंगली पकड़ कर हमने जिन्हें चलना सिखाया,
मजा आता है उन्हें, मेरे लड़खड़ाने में,
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