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रिश्ते बिछड़ रहे हैं सारे,
मोबाइल के शोर में,
अपने भी अब हुए पराए,
इंटरनेट के दौर में,
व्हाट्सएप और फेसबुक
के दोस्त हुए अब प्यारे हैं,
बात करने का समय नहीं,
हम बस चैटिंग के सहारे हैं,
अपनों से दूरी लेकिन,
दुख में बहुत सताती है,
चाहे कितने भी बडे़ हो जाएं,
याद माँ कि तब आती है,
जिसने हमको जन्म दिया,
जिसने हमको पाला है,
मोबाइल और सोशल साइट्स
के चक्कर में हमने सबको टाला है,
बढ़ रहा है अब अके
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