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मैं तेरी आखों के सामने रहूँ, या ओझल रहूँ

Bechain SinghBechain Singh December 7, 2022
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मैं तेरी आखों के सामने रहूँ, या ओझल रहूँ, 

कोशिश है मेरी, मैं जो आज हूँ, वही कल रहूँ, 


जरूरतें हमें साथ रहने न देंगी,

समय के साथ दूरी लाजमी है, 

मैं तुझसे दूर रहूँ या तेरे करीब रहूँ, 

मैं तेरी यादों में हर पल रहूँ, 


ख्वाब पूरे हों तेरे सब, यही तमन्ना है, 

मैं तेरे जीवन के हर एक पल में रहूँ,


तेरे बगैर ये दुनिया विरान लगती है,

मैं चाहे किसी भी महफ़िल में रहूँ,


ख्वाब है तू ही, तू ही मेरी हकीकत है, 

जनम-जनम, हर जनम मैं तेरे दिल में रहूँ,


दुनिया कुछ नहीं है "बेचैन" मेरी तेरे सिवा, 

चैन की नींद मिले जो मैं त

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