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अगर सिर्फ तन्हाइयो में, मै तुम्हे याद आता हूं
तुम्हारे ख़यालो पर कुछ देर छा जाता हूं
तो माफ़ करना, मै वो नहीं
अगर कुछ देर तुम्हे बहलाता हूं मै
सिर्फ कुछ हसी के पल दे जाता हूं मै
तो माफ़ करना, मै वो नहीं
नहीं वो मै जिसे तुम अपना हमदम मान सको
बेफिक्र होकर जिसका हाथ उम्रभर तुम थाम सको
जिस दिन भीड़ में भी तुम पर छा जाऊंगा मै
हजारों में भी होते हुए, तुम्हे तन्हा कर जाऊंगा मै
तो मै वहीं हूं...वहीं हूं
जिस वक़्त छोटी छोटी बातें भी याद आएगी मेरी
हर बात में, हर वक़्त कमी सताएगी मेरी
तो मै वहीं हू...वहीं हू
जिस दिन अल्फ़ाज़ मेरे,
आपके रूह से गुफ्तगू कर जायेंगे
जब आप अपने आपको
मुझसे रूबरू कर पाएंगे
तब समझना
मै वहीं हू....वहीं हू
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