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थोड़ी देर भी आराम से कहीं बैठ जाओ
तो बेमतलब उठने में तकलीफ़ होती है।
और जो कहीं मुद्दत्तों से टिकी हों ये नज़रें किसी पर , उसे पाने की चाहत में फिर ये कहाँ शरीफ़ होती हैं।
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